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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट प्रबन्धन एवं निस्तारण पर पशु चिकित्सकों का हुआ प्रशिक्षण

बीकानेर, 11 फरवरी। वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केन्द्र द्वारा “पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन एवं निस्तारण” विषय पर बीकानेर संभाग के विभिन्न पशुचिकित्सकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर प्रो. आर.के. सिंह और निदेशक अनुसंधान, राजुवास बीकानेर प्रो. हेमंत दाधीच द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय के पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केन्द्र की प्रमुख अन्वेषक डॉ. रजनी जोशी ने बताया कि पशुचिकित्सकों को जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट का निस्तारण पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। प्रो. प्रवीण बिश्नोई, विभागाध्यक्ष, सर्जरी एवं रेडियोलोजी विभाग ने कहा कि जूनोटिक रोगों के रोकथाम के लिए पशुचिकित्सकीय अपशिष्ट का उचित प्रबंधन एवं निस्तारण किया जाना जरूरी है। अतिरिक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बीकानेर डॉ. हुकमा राम ने कहा कि पशुओं के रोग निदान और उपचार कार्यों में चिकित्सकीय अपशिष्ट का सही निस्तारण पशु और मानव जगत के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। डॉ. वीरेंद्र नेत्रा, उपनिदेशक, कार्यालय पशुपालन विभाग ने कहा कि पशुचिकित्सकीय अपशिष्ट का उचित प्रबंधन एवं निस्तारण किया जाना जरूरी है साथ ही उन्होंने सभी प्रशिक्षणार्थियों से सुझाव दिया कि वे प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए कार्याे को अन्य पशुधन सहायकों, संबन्धित स्टाफ एवं प्रयोगशाला सहायक तक जन जागरूकता के रूप में पहुंचाये। केन्द्र के सह- अन्वेषक डॉ. दीपिका धूडिया एवं डॉ. मनोहर सैन ने पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन एवं निस्तारण विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. देवेंद्र चौधरी व डॉ. चाँदनी जावा ने पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के पृथक्करण व निस्तारण का प्रायोगिक विवरण दिया। प्रशिक्षण के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये।