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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

वेटरनरी विश्वविद्यालय पशु चिकित्सकों का पशु शल्य चिकित्सा पर प्रशिक्षण कार्यक्रम पशुचिकित्सा में भी डायग्नोस्टिक तकनीकों का उपयोग समय की मांगः कुलपति प्रो. गर्ग

बीकानेर 23 मार्च। वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु शल्य चिकित्सा एवं विकिरण विभाग द्वारा फील्ड पशुचिकित्सकों का “पशु रोगों के इलाज में डाग्यनोस्टिक इमेजिंग, रेडियोग्राफी और अल्ट्रासोनोग्राफी का उपयोग“ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार को संपन्न हुआ। समापन सत्र में पशु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि मनुष्य की तरह पशुचिकित्सा के क्षेत्र में भी अनेको डायग्नोस्टिक तकनीक रोग निदान हेतु उपयोग में आने लगी है इस क्षेत्र में कौशल विकास के लिए इस तरह के प्रशिक्षणों की आवश्यकता है। वेटरनरी विश्वविद्यालय फील्ड पशुचिकित्सकों हेतु विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण आयोजित करता है अतः इस प्रकार के प्रशिक्षणों में अधिक से अधिक भागीदारी करके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाना चाहिए ताकि फील्ड में पशु इलाज के दौरान आने वाली समस्याओं का निराकरण हो सके एवं पशुपालकों को उन्नत इलाज को फायदा मिल सके। कुलपति प्रो. गर्ग ने राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के शल्य चिकित्सा विशेषज्ञों की कौशलता का लाभ ऑनलाइन माध्यम से लिए जाने पर जोर दिया। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. प्रवीण कुमार बिश्नोई ने बताया कि इस प्रशिक्षण में पशुपालन विभाग के 19 पशु चिकित्सकों ने भाग लिया जिनको पशु इलाज में अल्ट्रासोनोग्राफी का उपयोग, डिजिटल रेडियोग्राफी का विभिन्न पशु रोग निदान हेतु उपयोग, पशुओं की आंखों की विभिन्न बीमारियों में अल्ट्रासोनोग्राफी तकनीक का उपयोग आदि विषयों पर विषय विशेषज्ञों डॉ. एस.के. झीरवाल, डॉ. साकार पालेचा, डॉ. महेन्द्र तंवर, डॉ. अनिल बिश्नोई एवं डॉ. कपिल कच्छावा द्वारा व्याख्यान एवं प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के उपरांत प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिये गये। समापन समारोह के दौरान प्रो. जे.एस. मेहता, निदेशक क्लिनिक, प्रो. बी.एन. श्रृंगी, निदेशक मानव संसाधन विकास, प्रो. राजेश कुमार धूड़िया, निदेशक प्रसार शिक्षा मौजूद रहे।