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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

आत्मा योजनांतगर्त पशुपालक प्रशिक्षण दूध के साथ-साथ गोबर-गौमूत्र की उपयोगिता भी समझे पशुपालक

बीकानेर, 26 मार्च। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय एवं कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा), कृषि विभाग, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में “उन्नत गोपालन एवं गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण“ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रविवार को समाप्त हुआ। प्रशिक्षण में नोखा के 30 पशुपालक शामिल हुए। प्रशिक्षण समापन पर प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने कहा कि प्रदेश के लघु व सीमान्त पशुपालकों के दूध उत्पादन में सक्रिय योगदान से राजस्थान आज देश में कुल 15 प्रतिशत दूध उत्पादन से प्रथम स्थान पर आ गया है। यदि पशुपालक दूध उत्पादन के साथ-साथ गोबर-गौमूत्र की उपयोगिता भी समझे तो उनकी दैनिक आय में ओर अधिक वृद्वि हो सकती है। समापन अवसर पर प्रो. ए.पी. सिंह, अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर ने भी प्रतिभागियों को सम्बोधित किया व पुरस्कार प्रदान किये। प्रशिक्षण में डॉ. दीपिका धूड़िया, डॉ. राजेश नेहरा, डॉ. मनोहर सैन, डॉ. प्रमोद धतरवाल, डॉ. अमित चौधरी, डॉ. सीताराम एवं दिनेश आचार्य द्वारा डेयरी पशुओं में मुख्य बीमारियां एवं रोकथाम, पशु आहार प्रबन्धन, पशु आवास प्रबन्धन, गौमूत्र का कीटनाशक के रूप में प्रसंस्करण, जैविक खेती, पशुओं में प्रजनन सम्बधी रोग व उपचार, एवं वर्मी कम्पोस्ट व वर्मी वॉश बनाने की विधिया व उपयोगिता आदि विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गये। कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी श्रीराम विश्नोई भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तरी में कंचन को प्रथम, जेठूसिंह को द्वितीय एवं पुरखाराम को तृतीय पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए गये। प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. मनोहर सैन रहें।