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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

दो दिवसीय वेटरनरी क्लीनिकल कांफ्रेंस आयोजित

दो दिवसीय वेटरनरी क्लीनिकल कांफ्रेंस आयोजित
बीकानेर, 10 अप्रेल। पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर में वेटरनरी इंटरनल एवं प्रीवेन्टिव मेडिसिन, केनाइन वेलफेयर सोसाइटी तथा मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय वेटरनरी क्लीनिकल केस क्रांफ्रेस “पालतु, फार्म व वन्य पशुओं के स्वास्थ्य प्रबन्धन पर एक नैदानिक दृष्टिकोण” विषय पर बुधवार को समाप्त हुई। कांन्फ्रेस के मुख्य अतिथि मंहत श्री विमर्शानन्दगिरी जी महाराज, अधिष्ठाता, श्री लालेश्वर महादेव मन्दिर, शिवबाड़ी ने अपने उद्बोधन में समाज में पशु चिकित्सकों की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा पशुपालकों की आर्थिक सुद्दढ़ता हेतु अनुसंधान कार्यों का बढ़ावा देने हेतु प्ररित किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया की “एकल स्वास्थ्य” की परिकल्पना प्राचीन काल से चली आ रही है। देश के विभिन्न राज्यों व विश्वविद्यालयों से आये हुए संकाय सदस्यों, फील्ड वेट्स द्वारा विभिन्न बीमारियों के निदान व ईलाज पर मंथन कर वैकल्पिक तकनीक का विकास करना चाहिए। अधिष्ठाता व संकाय अध्यक्ष प्रो. हेमन्त दाधीच ने कहा कि क्लीनिकल केस कांफ्रेस में लगभग सभी तरह के पशुओं के ईलाज तरीको पर चर्चा की गई। जिससे संकाय सदस्यों को बहुत कुछ सिखने को मिला। वेटरनरी इंटरनल एव प्रीवेन्टिव मेडीसिन सोसाइटी के उपाध्यक्ष तथा पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर के अधिष्ठाता प्रो. डी.एस. मीणा ने सोसाइटी के द्वारा आयोजित की जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. जे.पी कच्छावा ने बताया कि इस कांफ्रेंस में विभिन्न राज्यों के 150 से अधिक संकाय सदस्यों ने भाग लिया 13 विभिन्न सत्रों में 10 लीड पेपर, 72 क्लीनिकल केस व 35 पोस्टर प्रस्तुत किये गये। समापन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय ने डीन-डायरेक्टर्स, संकाय सदस्य उपस्थित रहे।