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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

नवानियां वेटरनरी काॅलेज द्वारा ‘राहत’ फोरम की पहली बैठक का आयोजन।

नवानियां, 16 जनवरी। पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानियां, वल्लभनगर, उदयपुर द्वारा विश्वविद्यालय व पशुपालन से जुङे राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने हेतु एनिमल हस्बैन्ड्री एक्सटेंशन टेक्नोलोजी फोरम (राहत) की पहली क्षेत्रीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसका मूल उद्धेश्य राज्य में पशुपालन से सम्बंधित विभागों और वेटरनरी काॅलेज/यूनिवर्सिटी में आपसी सामंजस्य से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के विभिन्न अनुसंधान व तकनीक को पशुपालक तक सुगमता से पहुँचाना व पशुपालक की आवश्यकता को पशुचिकित्सा महाविद्यालय द्वारा नवाचार एवं अनुसंधान कार्य द्वारा पूर्ण करना हैं। इस बैठक में महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) राजीव कुमार जोशी केे साथ महाविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष/प्रभारी, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक, नाबार्ड के जिला विकास प्रबन्धक, गौशाला के प्रतिनिधि ने भाग लिया एवं उपयोगी सुझाव दिये। महाविद्यालय के अनुवाशिंकी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेन्द्र कुमार नागदा ने ब्रीडिंग पॉलिसी को क्रियान्वित करने, महाविद्यालय के अनुसंधान कार्य को गौशाला से जोङने एवं डेयरी से जुडे पशुपालको की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उदयपुर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. त्रिवेदी ने पशु के ताव (हीट) में आने की पहचान हेतु किट बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा पशुपालक द्वारा ही गर्भाधान पहचान हेतु किट बनाने का सुझाव दिया। चितौडगढ़ पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नेत्रपाल सिंह जी ने पशुपालकों के लिए बैंक प्रक्रिया का सरलीकरण व पशु उत्पाद के न्युनतम विक्रय मुल्य निर्धारित करने का सुझाव दिया। नाबार्ड के जिला विकास प्रबन्धक शशि कमल जी ने पशुपालकों को नाबार्ड की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी व ऋण के सरलीकरण का आश्वासन दिया। नागेश्वर गौशाला के प्रतिनिधि श्री श्याम लाल चौबीसा ने गौ संवर्धन के लिए परियोजना एवं पंचगव्य उत्पादन के लिए सरकारी सहयोग की मांग की। प्रसार शिक्षा विभाग के प्रभारी डॉ. टीकम गोयल ने अपने प्रस्तुतीकरण द्वारा राहत की पृष्ठ भूमि, विजन व उद्धेश्य की जानकारी दी। पब्लिक हेल्थ विभाग के प्रभारी डॉ. अभिषेक गौरव ने मैस्टाइटिस, दूध में मिलावट की पहचान हेतु कीट व विभाग में उपलब्ध सेवाओं के बारे में संबंधित विभागों के अधिकारियों और पशुपालकों को विस्तार से बताया। सूरती भैंस परियोजना के प्रभारी डॉ. मितेश गौड ने सीमन स्ट्राॅ की गुणवता को बढ़ाने के लिए जोर दिया। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रभारी डॉ. दीपक शर्मा ने पशुओं की बीमारी की पहचान हेतु विभाग में उपलब्ध सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने हेतु पशुपालन विभाग के अधिकारीयों को प्रस्ताव रखा। पशुधन अनुसंधान केन्द्र, बोजुन्दा के प्रभारी अधिकारी डॉ. मीठा लाल गुुर्जर ने सुखा चारा बैंक बनाने का सुझाव दिया जिससे जरुरत पङने पर पशुपालकों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जा सके। डॉ. सनवीर खातुन ने ऑनलाईन माध्यम द्वारा बैठक का आयोजन करवाया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. हेमन्त जोशी ने सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया।