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राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

फील्ड पशुचिकित्सकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण समापन वन हेल्थ मिशन में पशुचिकित्सकों की विशेष भूमिका: कुलपति प्रो. गर्ग

बीकानेर, 17 मार्च। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय एवं पशुपालन विभाग, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में फील्ड पशुचिकित्सकों के लिए पशुओं में रोग निदान एवं नियंत्रण विषय पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हुआ। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को कम करने और इस क्षेत्र से किसानों व पशुपालकों को बेहतर आर्थिक रिटर्न सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा, खाद्य गुणवŸाा और गरीबी में कमी के लिए पशु स्वास्थ्य भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के कारण महामारियों के दौर ने मानव व पशु स्वास्थ्य दोनो को ही प्रभावित कर रखा है। पशुओं में उभरती हुई नई बीमारियां पशुचिकित्सकों के सामने चुनौती के रूप में है। इसलिए, राज्य में पशु रोगों की रोकथाम और उपचार में शामिल पशुचिकित्सको के ज्ञान में नियमित रूप से अद्यतनीकरण आवश्यक है ताकि वे मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए नई चुनौतियों का सामना कर सकें। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने बताया कि भारत सरकार की एस्केड परियोजना के अंर्तगत पशुपालन विभाग के अजमेर, कोटा व जयपुर जिलों के 20 पशुचिकित्सको ने भाग लिया। कुलपति प्रो. गर्ग द्वारा इस अवसर पर प्रशिक्षण मेन्यूल का विमोचन भी किया गया। प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. मनोहर लाल सैन व डॉ. दीपिका धूड़िया रहे। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में विषय विशेषज्ञों द्वारा पशुओं में मेटाबॉलिक बीमारियां, रक्त एवं मूत्र जांच, रेडियोग्राफिक डायग्नोस्टिक तकनीक, विभिन्न नामूनों को एकत्र एवं जांच हेतु भेजने के तरीके, अल्ट्रासोनोग्राफिक तकनीक, रोग नियंत्रण की बायोटेक्नोलॉजिकल तकनीक, बायोसिक्यूरिटी उपाय, पोस्टमार्टम जांच, पशुजन्य रोगो से बचाव, बायोसेफ्टी लैब आदि विषयों पर 20 व्याख्यान के साथ साथ पशु फार्म एवं प्रयोगशाला भ्रमण आयोजित किये गये।