header logo image

राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय, बीकानेर Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner (Accredited by VCI and ICAR)

वेटरनरी विश्वविद्यालय एवं होम्योपैथी विश्वविद्यालय, जयपुर के मध्य हुआ आपसी करार (एम.ओ.यू.) पशुचिकित्सा में होम्योपैथी मेडिसिन की उपयोगिता तलाशेगा वेटरनरी विश्वविद्यालय: कुलपति प्रो. गर्ग

बीकानेर 07 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर एवं होम्योपैथी विश्वविद्यालय, जयपुर के मध्य आपसी करार (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर हुए। वेटरनरी विश्वविद्यालय, कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग एवं होम्योपैथी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.एन. माथुर ने एम.ओ.यू. के दस्तावेज एक दूसरे को हस्तान्तरित किये। कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने बताया कि इस एम.ओ.यू. का उद्देश्य वेटरनरी क्षेत्र में होम्योपैथी की उपयोगिता, व्यापकता एवं शोध की नई संभावनाओ का पता लगाना है। पशुओं की कई बीमारियों के ईलाज हेतु होम्योपैथी को सहयोगी दवा के रूप में उपयोग हो रहा है। लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में होम्योपैथी मेडिसिन का प्रभाव, दवा की मात्रा, मेडिसिन कोम्बीनेशन आदि में प्रमाणिकरण का अभाव है। इस एम.ओ.यू. के माध्यम से दोनो विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ होम्योपैथी के क्षेत्र में ईलाज एवं शोध की नवीन सम्भावनाओं को तलाशेंगे। इससे पशुपालकों हेतु उचित मूल्य पर ईलाज की संभावना भी बढेगी। कुलपति प्रो. गर्ग ने यह भी बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं राज्य सरकार भी होम्योपैथी का वेटरनरी में उपयोग की संभावना को महत्व दे रही। होम्योपैथिक विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. ए.एन. माथुर ने कहा कि होम्योपैथी का उपयोग मानव में प्राचीन काल से ही हो रहा है लेकिन पशुचिकित्सा में इसके उपयोग की व्यापक प्रमाणिकता नहीं है। इस एम.ओ.यू. के तहत शैक्षणिक एवं शोध द्वारा नवीन संभावनाओं का पता लगाया जायेगा। निदेशक मानव संसाधन विकास प्रो. बी.एन.श्रृंगी एम.ओ.यू. कार्यक्रम के संयोजक रहे। इस अवसर पर होम्योपैथी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शिशिर माथुर, अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर प्रो. ए.पी. सिंह, निदेशक अनुसंधान प्रो. हेमन्त दाधीच, प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूडिया, निदेशक पी.एम.ई. प्रो. बसंत बैस, परीक्षा नियन्त्रक प्रो. उर्मिला पानू, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. प्रवीण बिश्नोई, डॉ अशोक डांगी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक गौड़ द्वारा किया गया।